Ketu in Sixth House Analysis - Lal Kitab 1941 | Astrologer Vijay Goel | EP102
Ketu in Sixth House analysis from Lal Kitab 1941 by Astrologer Vijay Goel. Learn about health, debts, enemies, and more with this insightful video.
लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा एकसौदोवां वीडियो है। इसमे मैंने “केतु खाना नंबर 6” (जब कुंडली के छ्ठे घर मे केतु स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
षष्ठम भाव को रोग, कर्ज और शत्रुओं के भाव के नाम से जाना जाता है। यह कुंडली का सबसे विरोधाभासी भाव होता है। यह भाव रोगों को जन्म देता है लेकिन वहीं स्वस्थ होने की शक्ति भी प्रदान करता है। इस भाव से लोन या कर्ज मिलता है वहीं यह भाव कर्ज को चुकाने की क्षमता भी देता है। षष्ठम भाव शत्रुओं को भी दर्शाता है लेकिन विरोधियों से लड़ने की ताकत और साहस भी प्रदान करता है। इस भाव को तपस्या का भाव भी कहा गया है। यह भाव त्याग और अलगाव को भी दर्शाता है।
यहां स्थित केतू आपके शरीर को निरोगी बनाता है। यदि कोई रोग होता भी है तो वह शीघ्र ही ठीक हो जाता है। आप अपने भाइयों को प्रिय और उदार चरित्र के होंगे। आप गुणवान और दृढ प्रतिज्ञ व्यक्ति हैं। आप एक प्रसिद्ध व्यक्ति होंगे। आप अपनी विद्या के कारण यश प्राप्त करेंगे। आपको अपने जीवन काल में श्रेष्ठ पद मिलेगा। आप इष्टसिद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
आपको पशुओं से लगाव हो सकता है फल स्वरूप आपके पास पशु धन खूब होगा। आप अपने शत्रुओं को नष्ट करने वाले और विभिन्न विवादों में विजय पाने वाले व्यक्ति हैं। आपको द्रव्य लाभ होता रहेगा। आप फिजूलखर्ची न करके धन की बचत करेंगे। यहां स्थित केतू कई प्रकार के अशुभफल भी देता है। फलस्वरूप आप कुछ झगडालू स्वभाव के हो सकते हैं।
आपको भूत प्रेत जैसी बाधाओं से कष्ट मिल सकता है। माता या ननिहाल पक्ष से आपको कुछ हानि हो सकती है। मामा का सुख कम मिलेगा। किसी कारण से मामा से मतभेद होने के कारण आपको ननिहाल से आदर सम्मान नहीं मिल पाएगा। आपको दांत का रोग अथवा होंठों से सम्बंधित को
4 years ago