The Impact of Mercury in the Seventh House - Lal Kitab 1941 - EP67 - Astrologer Vijay Goel

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लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा सड़सठवां वीडियो है। इसमे मैंने “बुध खाना नंबर 7” (जब कुंडली के सातवे घर मे बुध स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
लाल किताब का सातवां घर वैवाहिक जीवन तथा गृहस्थी के स्वरूप को बताता है. यह गृहस्थी का कारक है. विवाह संबंधी समस्त शुभाशुभ फलों का निर्धारण इसी से किया जा सकता है. इसी के साथ जातक अपने जीवन के निर्वाह हेतु किस काम को चुनेगा वह व्यवसाय में जाएगा या नौकरी करेगा अथवा उसका जीवन निर्वाह कितना अच्छा या कितना बुरा रहेगा इत्यादि कई अन्य बातें भी इसी भाव से देखी जाती हैं. पति पत्नी के मध्य संबंध, संतान की स्थिति तथा उनसे संबंध के बारे में भी इसी घर को लिया जाता है.
लाल किताब में सातवें घर को गृहस्थी की चक्की कहा जाता है. आकाश जमीन दो पत्थर सातवें रिजक अकल की चक्की हो. दोनों घुमावें कीली लोहे की घर आठ्वें जो होती हो. अर्थ है कि सप्तम भाव का कारक बुध तथा भावेश शुक्र है. शुक्र को पृथ्वी तथा रिजक यानी के धन कहा गया है. बुध को अकाश और बुद्धि माना जाता है. इस चक्की की कीली अर्थात धुरी आठवां घर होता है. जिसके अनुसार आठवें घर के ग्रह गोचर या वर्षफल में जब लग्न या अष्टम भाव में आएंगे तो आपसी संबंधों के फलस्वरूप शुभाशुभ फल देने में सक्षम होंगे.
बुध की यहां स्थिति अधिकांश मामलों में जातकको शुभफल ही देगी। यहां स्थित बुध के कारण आप धनवान तो होंगे ही साथ ही आप रूपवान भी होंगे। आपका जीवन साथी भी स्वरूपवान होना चाहिए। साथ ही जातक के जीवन साथी के पास धन दौलत भी खूब होगी। जातकका विवाह कुलीन परिवार में होना चाहिए। लेकिन जीवन साथी का स्वभाव थोडा सा झगडालू हो सकता है।
जातक जातकके मित्रों में स्त्रियां अधिक संख्या में होंगी। आप देखने में सुन्दर, कुलीन और श
4 years ago
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